जलवायु संकट का हर समाधान है वृक्षारोपण : जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान
इंदौर/देपालपुर : “वृक्षारोपण केवल पौधे लगाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि भविष्य को सुरक्षित करने का परमार्थ कार्य है। वृक्ष बड़े होकर न सिर्फ हमें छाया और फल देते हैं, बल्कि मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक ऑक्सीजन का भी प्रमुख स्रोत होते हैं।” यह प्रेरणादायी विचार तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने नगर में आयोजित वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। यह महत्त्वपूर्ण आयोजन मनकमल पार्श्वनाथ तीर्थ परिसर में तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर तथा सर्राफा एसोसिएशन देपालपुर के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के दौरान आम, जामुन,अमरूद, पीपल, नीम जैसे अनेक फलदार और छायादार वृक्षों का रोपण किया गया। कार्यक्रम में आयोजित संगोष्ठी में जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है, जिसका सबसे सरल और सशक्त उपाय वृक्षारोपण ही है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण कर हम न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करते हैं। कार्यक्रम के दौरान जिला न्यायाधीश श्री खान ने वृक्षारोपण पर प्रेरक दोहे सुनाकर उपस्थित जनसमूह से यह अपील की कि हर व्यक्ति कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाए और उसकी देखभाल का संकल्प भी ले। इस अवसर पर सर्राफा एसोसिएशन देपालपुर की ओर से जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान का पुष्पमाला से भव्य स्वागत किया गया तथा मनकमल पार्श्वनाथ तीर्थ परिसर का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष नेम कुमार जैन, सचिव अंकित सोनी, मीडिया प्रभारी मनोज अग्रवाल, संरक्षक अनिल सोनी सांवेर वाले, सदस्य नितिन गोयल, पार्षद गुड्डू ठाकुर, अखिलेश रावल, पंकज जैन, लखन पटेल, न्यायालय स्टाफ नायब नाजिर दिलीप यादव, आशिक चौहान, अरशद हसन, अमर वर्मा सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन प्रभावी अंदाज में मनोज अग्रवाल ने किया, वहीं आभार प्रदर्शन सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष नेम कुमार जैन द्वारा व्यक्त किया गया। कार्यक्रम ने नगरवासियों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता की नई चेतना का संचार किया तथा यह संदेश दिया कि यदि हमें जलवायु संकट से निपटना है, तो हमें अधिकाधिक वृक्षारोपण कर प्रकृति को उसका मूल स्वरूप लौटाना होगा।