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CBI: इंटर स्टेट मेडिकल कॉलेज घूंस रैकेट का भंडाफोड़, डॉक्टर—अधिकारी सहित 6 अरेस्ट

नई दिल्ली/भोपाल/रायपुर। मेडिकल कॉलेज विनियमन और मान्यता में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली एक व्यापक कार्रवाई में सीबीआई ने तीन डॉक्टरों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया। स्वयंभू धर्मगुरु रावतपुरा सरकार, पूर्व यूजीसी अध्यक्ष डीपी सिंह के साथ अधिकारियों और बिचौलियों के एक नेटवर्क से जुड़े एक रैकेट का भंडाफोड़ किया। सीबीआई से जुड़े एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

दरअसल, बहु-राज्यीय भ्रष्टाचार रैकेट के चलते सीबीआई को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी करनी पड़ी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 30 जून को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (जैसा कि 2018 में संशोधित किया गया) की धारा 7, 8, 9, 10 और 12 के तहत दर्ज अपनी प्राथमिकी में 34 लोगों और एक अज्ञात व्यक्ति को नामजद किया है।

ये धाराएं आपराधिक साजिश और सरकारी कर्मचारियों की रिश्वतखोरी से संबंधित हैं। एफआईआर में कई उच्च पदस्थ अधिकारियों, बिचौलियों और भारत भर के निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के नाम हैं।

सीबीआई ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (एसआरआईएमएसआर) के पक्ष में रिपोर्ट तैयार करने के मामले में तीन डॉक्टरों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने कॉलेज की सुविधाओं में कमियों के बावजूद अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए कॉलेज प्रबंधन से कथित तौर पर 55 लाख रुपये की रिश्वत ली थी।

आरोपियों में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. अशोक शेलके, डॉ. सतीश ए, डॉ. चैत्रा एमएस और उनके पति रविचंद्रन के साथ अतुल कुमार तिवारी शामिल हैं। सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि 55 लाख रुपये की रिश्वत हवाला के जरिए दी गई थी। इसके अलावा सीबीआई ने कॉलेज के चेयरमैन रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।

सीबीआई को पुख्ता जानकारी मिली थी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के कुछ अधिकारी निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर मान्यता प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कर रहे हैं। इनपुट में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी की और कई निजी मेडिकल कॉलेजों को अवैध रूप से मान्यता दिलाई और बदले में भारी रिश्वत ली।

सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के कुछ लोक सेवकों ने चिकित्सा शिक्षा को नियंत्रित करने वाली वैधानिक निरीक्षण प्रक्रियाओं को विफल करने के लिए निजी व्यक्तियों और संस्थानों के साथ मिलीभगत की। कथित तौर पर ये अपराध रायपुर, बैंगलोर, इंदौर, उदयपुर, दिल्ली और अन्य स्थानों पर 2024-25 के दौरान हुए।

एफआईआर में नामित प्रमुख नामों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त निदेशक डॉ. जीतू लाल मीना, मांड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर और एनएमसी निरीक्षण दल के सदस्य डॉ. मंजप्पा सीएन और गीतांजलि विश्वविद्यालय, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल शामिल हैं।

श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) के वरिष्ठ पदाधिकारियों का भी नाम लिया गया है, जिसमें अध्यक्ष श्री रविशंकर जी महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार और निदेशक अतुल कुमार तिवारी शामिल हैं। रिपोर्ट में रिश्वतखोरी, रिकॉर्ड में हेराफेरी और गोपनीय निरीक्षण कार्यक्रमों के लीक होने का एक चौंका देने वाला नेटवर्क सामने आया है।

इसमें कहा गया है कि “मेडिकल कॉलेजों को वैधानिक निरीक्षणों और मूल्यांकनकर्ताओं के नामों के बारे में अग्रिम जानकारी दी गई थी,” जिससे उन्हें अनुपालन में हेराफेरी करने, प्रॉक्सी फैकल्टी को नियुक्त करने, फर्जी मरीजों को भर्ती करने और यहां तक कि बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करने में सक्षम बनाया गया।

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