मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट: देश में क्यों हो रही है युद्ध जैसी तैयारी

नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पहले से भी ज्यादा खराब हो गए हैं। युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं। दोनों देशों की फौजें कमर कसकर तैयार हैं। पाकिस्तानी सेना प्रमुख तनाव की इस आग में लगातार अपने बयानों का घी डाल रहा है।
इस बीच भारत सरकार ने फैसला किया है कि 7 मई यानी बुधवार को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की जाएगी। युद्ध तथा आपातकाल की स्थिति में इस तरह की ड्रिल की जाती है। इस दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाते हैं। ब्लैकआउट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की ट्रेनिंग दी जाती है।
आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वाकई युद्ध होने वाला है? और इस तरह की ड्रिल पिछली बार कब हुई थी? सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है? इसमें क्या होता है? परेशान होने की जरूरत नहीं है। यहां हम आपके ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं।
देश में पहली बार 1971 के युद्ध के दौरान इस तरह की मॉक ड्रिल हुई थी, तब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ था।
7 मई को क्या होगा?
देश में 7 मई 2025 को आधिकारिक तौर पर नामित जिलों और विभागों में मॉक ड्रिल किया जाएगा। इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने और निरीक्षण करने का निर्देश दिए जा चुके हैं।
मॉक ड्रिल में कौन-कौन शामिल होगा
इसमें स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के वॉलिंटियर, नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) के मेंबर और स्कूल व कॉलेजों के स्टूडेंट्स शामिल होंगे।
मॉक ड्रिल कैसे की जाएगी?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर आज दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें राज्यों के मुख्य सचिव और सेना प्रमुख समेत कई बड़े अफसर मौजूद थे। गृह मंत्रालय ने देश के कुछ जिलों (सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स) को युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की ड्रिल के लिए चिन्हित किया है। सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स संवेदनशीलता के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटे गए हैं।
कैटेगरी-1 सबसे संवेदनशील
कैटेगरी -2 संवेदनशील
कैटेगरी-3 कम संवेदनशील
मॉक ड्रिल: स्टेप-बाई-स्टेप यहां पढ़ें…
हवाई हमले का सायरन
मॉक ड्रिल के दौरान एयर स्ट्राइक/हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन (Air Raid Sirens) बजाया जाएगा। इमरजेंसी में यह अलार्म सिस्टम लोगों को हवाई हमले के प्रति सचेत करते हैं ताकि लोग सेफ प्लेस पर पहुंच जाएं।
नागरिकों को ट्रेनिंग
आम लोगों के लिए स्कूल, ऑफिस और कम्युनिटी सेंटर्स में वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी। यहां सिखाया जाएगा कि हमले के दौरान क्या करें। जैसे- ‘ड्रॉप एंड कवर’ तकनीक (झुककर छिप जाओ और कान बंद कर लो), नजदीकी शेल्टर का पता लगाना, प्राथमिक चिकित्सा देना और तनाव के समय शांत रहना सिखाया जाएगा।