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ट्रेड वॉर से हाहाकर, गरीबों का जीना मुश्किल कर देगी मंदी: यूएन चीफ

नई दिल्ली। ट्रेड वॉर के चलते मंदी के खतरों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि मंदी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इससे दुनिया के सबसे गरीब वर्ग के लोगों के लिए काफी मुसीबतें आ सकती हैं। गरीब लोगों को मंदी के दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। यूएन महासचिव का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा।

ट्रेड वॉर से होगा नुकसान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार 8 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पारस्परिक टैरिफ लागू करने से कुछ घंटे पहले कहा,’ मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे यहां मंदी नहीं आएगी, क्योंकि मंदी के गंभीर परिणाम होंगे, खासकर दुनिया के सबसे गरीब लोगों के लिए। उन्होंने कहा,’ ट्रेड वॉर बेहद नुकसानदायक होते हैं, इसमें कोई भी नहीं जीतता, सभी हारते हैं। महासचिव ने आगे कहा, मैं खासकर सबसे कमजोर विकासशील देशों को लेकर चिंतित हूं, क्योंकि इसका असर उन पर ज्यादा बुरा होगा।

‘व्यापार नियमों को बदला जाना चाहिए…’

ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो बुधवार 9 अप्रैल 2025 की आधी रात से लागू होगा. इसके जवाब में बीजिंग ने 34 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने कहा कि व्यापार में सुधार की जरूरत साफ नजर आ रही है। व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की महासचिव रेबेका ग्रिनस्पैन ने कहा,’ वैश्विक व्यापार नियमों को आज की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बदला जाना चाहिए, लेकिन इन बदलावों में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे सबसे कमजोर लोगों की रक्षा करें और विकास को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा, ‘ यह एकजुट होने का समय है, न कि तनाव बढ़ाने का।

अमेरिका के टैरिफ से बढ़ा विवाद

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ ) की उप महानिदेशक एंजेला एलार्ड ने कहा कि संगठन के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि अमेरिका और अन्य देशों द्वारा हाल में उठाए गए टैरिफ उपायों से इस साल वैश्विक वस्तु व्यापार में लगभग एक प्रतिशत की कमी आ सकती है. यह 3 प्रतिशत की वृद्धि के पूर्व अनुमान से लगभग 4 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट होगी. एलार्ड ने कहा,’ डब्ल्यूटीओ प्रणाली को कमजोर करने के प्रयासों के बावजूद, अभी भी वैश्विक व्यापार का 74 प्रतिशत डब्ल्यूटीओ के सर्वाधिक-तरजीही-राष्ट्र (एमएफएन) शर्तों के तहत होता है.’ उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि डब्ल्यूटीओ प्रासंगिक बना हुआ है और बहुपक्षीय प्रणाली प्रभावी ढंग से कार्य कर रही है। डब्ल्यूटीओ के अनुसार, चीन और कनाडा ने पहले ही अमेरिका के साथ अपने विवादों को उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने डब्ल्यूटीओ के ढांचे के तहत परामर्श की मांग की है, जिससे दोनों पक्षों को आपस में बातचीत करने का मौका मिलेगा और मुकदमा करने से बचने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा। अगर ऐसा करने पर भी सफलता नहीं मिली तो वे एक पैनल द्वारा निर्णय का अनुरोध कर सकते हैं।

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